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पंजाब सरकार

पंजाब सरकार के इस साल के बजट में किसानों के लिए क्या है? 

पंजाब सरकार के इस साल के बजट में किसानों के लिए क्या है? 

पंजाब में 27 जून को पेश यानी आज के दिन पेश हुआ बजट, जिसमे शिक्षा, कृषि और स्वास्थ्य में फोकस किया गया है.

हरपाल सिंह चीमा जो की पंजाब के वित्त मंत्री है उन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को लेकर बजट पेश किया. उन्होंने एक जुलाई से मुफ्त बिजली देने का वादा किया और साथ ही अपने मंत्री विजय सिंगला के खिलाफ मान की कार्रवाई का जिक्र किया. 11,000 करोड़ रुपए भगवंत मान सरकार ने कृषि के लिए आवंटित किए है. जिसमे से पराली जलाने की समस्या के लिए 200 करोड़ रुपए आवंटित किए है.

ये भी पढ़ें: पंजाब सरकार बनाएगी पराली से खाद—गैस राज्य में मेडिकल कॉलेज बहुत कम है जिसकी वजह से सरकार ने 16 मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का वादा किया है. जिसकी वजह से राज्य में कुल 25 मेडिकल कॉलेज हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि वन विधायक वन पेंशन से 19 करोड़ हर साल और पेपरलेस बजट से 21 लाख रुपए बचेंगे. वित्तमंत्री हरपाल चीमा ने कहा कि बजट का एक एक पैसा लोगो पर खर्च होगा. हरपाल चीमा का कहना है कि यह बजट आम जनता की सलाह से बनाया गया है. इस बजट के लिए 20384 सुझाव लोगो ने दिए जिसमे से लगभग 5503 राज्य की महिलाओं ने भी सलाह दी थी. इस बार बजट में कोई नया टैक्स नहीं जोड़ा गया है. 450 करोड़ का प्रावधान सीधी बिजाई के लिए किया है. पिछली बार सरकार ने टैक्स की चोरी को लेकर कोई इंतजाम नही किया था, परंतु इस बार सरकार ने टैक्स की चोरी को रोकने के लिए पहली बार यूनिट बनाने जा रही है. शिक्षा के क्षेत्र में इस बार सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. स्कूली व उच्च शिक्षा में 16, तकनीकी शिक्षा में 47 और मेडिकल शिक्षा में 57 फीसदी तक का इजाफा किया गया है। भगवंत मान सरकार ने 2022 - 23 में 55 हजार 860 करोड़ के बजट खर्चे का अनुमान रखा है.
डीएसआर तकनीकी से धान रोपने वाले किसानों को पंजाब सरकार दे रही है ईनाम

डीएसआर तकनीकी से धान रोपने वाले किसानों को पंजाब सरकार दे रही है ईनाम

12 हजार हेक्टेयर जमीन में डीएसआर तकनीकी से धान की खेती करने का शासन ने दिया है लक्ष्य

चंडीगढ़।
पंजाब सरकार कृषि विभाग डीएसआर तकनीकी (डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस तकनीक) या सीधी बिजाई से धान की खेती करने वाले किसानों को ईनाम दे रही है। इस तकनीकी से धान की रोपाई करने से 35 फीसदी पानी की बचत होती है। जिसे ध्यान में रखते हुए शासन द्वारा पूरे राज्य के किसानों को 12 लाख हेक्टेयर जमीन में डीएसआर तकनीकी से धान की फसल करने का लक्ष्य दिया है। हालांकि अभी 77 हजार हेक्टेयर में ही डीएसआर तकनीकी से धान की खेती की जा रही है, जो लक्ष्य से काफी पीछे है। राज्य सरकार ने इस तकनीकी से धान की खेती करने वाले किसानों को प्रति एकड़ 1500 रुपए ईनाम देने की घोषणा की है।

बढ़ा दी गई है डीएसआर से खेती करने की तारीख

- कृषि विभाग ने धान की सीधी बुवाई करने के लिए पहले 30 जून तक का समय दिया था। लेकिन लक्ष्य से पीछे रहने के कारण इसकी तारीख अब 4 जुलाई कर दी गई है। जानकारी मिल रही है कि अभी इसका समय और बढ़ाया जाएगा। ताकि ज्यादा से ज्यादा जमीन पर डीएसआर तकनीकी से धान की फसल हो सके।

जानें क्या है डीएसआर तकनीकी?

- यहां किसानों को यह समझने की जरूरत है कि आखिर डीएसआर तकनीकी क्या है? डीएसआर तकनीकी में धान के बीज को सीधे खेत में लगाया जाता है। इसमें धान की नर्सरी बनाने की आवश्यकता नहीं होती है। जिसे प्रसारण बीज विधि (डीएसआर) कहा जाता है। इसके लिए खेत की जमीन समतल होनी चाहिए।

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'प्रसारण बीज विधि' के फायदे एवं नुकसान

- प्रसारण बीज विधि (डीएसआर) के तहत धान की फसल करने वाले किसानों के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि इस विधि से खेती करने के कितने फायदे एवं नुकसान हैं।

फायदे

- डीएसआर तकनीकी से धान की फसल को सीधे ड्रिल किया जाता है। इससे पानी की 35% तक बचत होती है। इसमें बासमती किस्म के धान की अच्छी रोपाई होती है। इस विधि से धान की खेती करने पर सरकार से ईनाम दिया जा रहा है।

नुकसान

- डीएसआर तकनीकी से धान की फसल करने से खेत में खरपतवार होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। धान रोपाई की अपेक्षा फसल लेट हो सकती है। किसानों के लिए पानी की सप्लाई भी बेहतर ढंग से करना मुश्किल हो सकता है। ------- लोकेन्द्र नरवार
बौनेपन की वजह से तेजी से प्रभावित हो रही है धान की खेती; पंजाब है सबसे ज्यादा प्रभावित

बौनेपन की वजह से तेजी से प्रभावित हो रही है धान की खेती; पंजाब है सबसे ज्यादा प्रभावित

भारत में खेती का खरीफ सीजन चल रहा है। इस मौसम में उत्पादित की जाने वाली फसलों की बुवाई लगभग भारत भर में पूरी हो चुकी है। कई राज्यों में तो अब खरीफ की फसलें लहलहा रही हैं लेकिन इस बार धान की फसल में एक रोग ने किसानों की रातों की नींद खराब कर दी है। यह धान में लगने वाला बौना रोग (paddy dwarfing)  है जो धान की फसल को बर्बाद कर रहा है। यह बीमारी वर्तमान समय में पंजाब में तेजी से फ़ैल रही है जिससे राज्य के किसान परेशान हो रहे हैं, क्योंकि इस रोग में धान के पौधे अविकसित रह जाते हैं व उनसे धान का उत्पादन नहीं हो पायेगा।


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इस रोग के कारण पंजाब राज्य के कई जिले प्रभावित हो चुके हैं। वहां के किसान इस रोग के कारण बेहद परेशान हैं क्योंकि उन्हें अपनी धान की खेती खराब होने का भय सता रहा है। इस रोग की समस्या मुख्यतः लुधियाना, पठानकोट, गुरदासपुर, होशियारपुर, रोपड़ और पटियाला में है। जहां सैकड़ों हेक्टेयर जमीन में लगी हुई धान की फसल चौपट हो रही है। बौनेपैन का रोग धान की फसलों को पूरी तरह से बर्बाद कर रहा है। इस रोग की वजह से अब तक लुधियाना जिले को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। राज्य में बड़े पैमाने पर धान उगाया जा रहा है, लेकिन अब तक 3,500 हेक्टेयर से अधिक फसल में बौनेपैन का रोग लग चुका है। अगर धान के मूल्य का हिसाब किया जाए, तो सिर्फ लुधियाना में ही अब तक इस रोग के कारण किसानों को 51.35 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। यह किसानों के लिए बड़ा झटका है क्योंकि आने वाले दिनों में यदि यह बीमारी नहीं रुकी, तो यह बीमारी और भी ज्यादा धान की फसल को अपने चपेट में ले सकती है। यह सब के चलते धान के उत्पादन में असर पड़ना तय है और इस कारण से किसानों को इस बार धान की खेती में नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।


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जब यह बीमारी तेजी से बढ़ने लगी उसके बाद पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने धान के पौधों में बौनेपन की इस बीमारी पर रिसर्च किया। जिसके बाद पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने बताया कि यह बीमारी सबसे पहले चीन की धान की खेती में देखी गई थी। उसके बाद यह दुनिया में फ़ैली है। पौधों में यह बीमारी डबल-स्ट्रैंडेड आरएनए वायरस के कारण होती है, जिसके मुताबिक इसे बौना रोग कहते हैं। इसके पहले पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने इस बीमारी को अज्ञात बीमारी के तौर पर चिन्हित किया था। पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के साथ पंजाब की सरकार इस बीमारी से निजात पाने के लिए लगातार प्रयासरत है ताकि किसानों की कड़ी मेहनत से उगाये गए धान को बचाया जा सके। इस समस्या का समाधान ढूढ़ने के लिए पंजाब सरकार ने सम्बंधित विभागों को आदेश जारी किये हैं, क्योंकि यदि इस समस्या के समाधान में देरी की गई तो पंजाब के किसानों की हजारों हेक्टेयर में लगी हुई धान की खेती खराब हो सकती है, जो किसानों के लिए बड़ा झटका होगा।
पंजाब सरकार पराली जलाने से रोकने को ले कर सख्त, कृषि विभाग के कर्मचारियों की छुट्टी रद्द..

पंजाब सरकार पराली जलाने से रोकने को ले कर सख्त, कृषि विभाग के कर्मचारियों की छुट्टी रद्द..

पंजाब के कृषि मंत्री ने पराली जलाने (stubble burning) पर प्रतिबंध को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए पिछले दिनों अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक के दौरान, उन्होंने अधिकारियों को जमीनी स्तर पर किसानों के साथ मिलकर काम करने की सलाह दी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रतिबंध का ठीक से पालन हो। खेती का सीजन जोरों पर है। आने वाले दिनों में धान की फसल कटाई के लिए तैयार हो जाएगी। बहुत जगह फसल तैयार भी हो चुकी हैं और कटाई शुरू हो चुकी है। इसी कड़ी में पंजाब सरकार ने बहुत ही सक्रिय भूमिका निभाई है। पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए इस बार पंजाब सरकार जमीनी स्तर पर सक्रिय भूमिका निभा रही है और इसको ध्यान मे रखते हुए पंजाब सरकार ने एक उल्लेखनीय निर्णय लिया है जिसमे कृषि विभाग सहित सभी कर्मचारियों की छुट्टी रद्द कर दी है। कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल (Kuldeep Singh Dhaliwal ने इस बारे में जानकारी साझा की है। ये भी पढ़े: पराली जलाने पर रोक की तैयारी

इस तारीख तक छुट्टी रद्द

पंजाब सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए राज्य के कृषि विभाग के कर्मचारियों की 7 नवंबर तक की छुट्टी रद्द करने का फैसला किया है। दरअसल पंजाब के कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने बीते रोज पराली जलाने को रोकने के लिए अधिकारियों के साथ बैठक की और जिला स्तर पर क्रियान्वयन करने के लिए इसके रोडमैप पर चर्चा की। मंत्री महोदय ने कहा कि राज्य में पराली जलाने की प्रथा को रोकने के लिए विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं। इन कदमों में शिक्षा और प्रवर्तन भी शामिल हैं। मंत्री ने कृषि विभाग के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को जमीनी स्तर पर ध्यान केंद्रित कर काम करने के लिए कहा। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे 7 नवंबर तक विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को छुट्टी न दें। कृषि मंत्री ने पराली जलाने को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाने और सभी गतिविधियों की निगरानी के लिए एक राज्य स्तरीय समिति का गठन किया है। सख्त निर्देश देते हुए मंत्री महोदय ने सेंट्रल कंट्रोल रूम बनाने के भी आदेश दिए हैं। ये भी पढ़े: पराली प्रदूषण से लड़ने के लिए पंजाब और दिल्ली की राज्य सरकार एकजुट हुई दिल्ली-एनसीआर में हर साल सर्दी के मौसम में गंभीर वायु प्रदूषण होता है। प्रदूषण की शुरुआत अक्टूबर महीने से हो जाती है। यह वही समय है जब पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा पराली जलाया जाता है जो की एक गंभीर समस्या का रूप ले लेता है। हाल के वर्षों में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं जिसमे किसानों को जागरूक भी किया जा रहा हैं। इसी समय दिल्ली एनसीआर में पराली के धुएं से होने वाले प्रदूषण का अनुपात 40% से अधिक दर्ज किया है। खुले में पराली को जलाने से वातावरण में बड़ी मात्रा में हानिकारक प्रदूषक निकलते हैं, जिनमें गैसें भी शामिल हैं जो पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं। ये प्रदूषक को वातावरण में फैलने से रोकना चाहिए क्योंकि ये भौतिक और रासायनिक परिवर्तनों से गुजरते हैं और अंततः धुंध की मोटी चादर बना देते हैं। इससे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ये भी पढ़े: पंजाब सरकार बनाएगी पराली से खाद—गैस पराली जलाने से बचने के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार राष्ट्रीय पराली नीति बनाई है। राज्यों को इसका सख्ती से पालन करने का दिशा निर्देश भी दिया गया है। आज तक, खेतों में पराली को नष्ट करने के लिए कोई प्रभावी और उपयुक्त तरीके और मिशनरी सामने नहीं आए हैं। हैपीसीडर व एसएमएस सिस्टम से प्रणाली भूसे को खेत में मिलाया जा सकता है, लेकिन यह पूरी तरह से ठोस प्रणाली नहीं है जिससे खेत अगली फसल के लिए पूरी तरह से तैयार हो सके। पराली जलाने की समस्या के समाधान के लिए पिछले चार साल में केंद्र सरकार ने पंजाब पर करोड़ों रुपये खर्च किए हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। खेतों में अभी भी बड़ी संख्या में पराली जलाई जा रही है।
पंजाब सरकार सिचाईं पर करेगी खर्च कम, लेगी सौर ऊर्जा की मदद

पंजाब सरकार सिचाईं पर करेगी खर्च कम, लेगी सौर ऊर्जा की मदद

पंजाब सरकार ने कृषि सिचाईं के खर्च को कम करने के लिए १५ हॉर्स पावर सौर ऊर्जा यानि सोलर एनर्जी (solar energy) की सहायता लेने के लिए केंद्र सरकार से आर्थिक मदद मांगी है। पी एम कुसुम योजना के तहत केंद्र सरकार किसानों के लिए सौर ऊर्जा चलित पंप सेट प्रदान करती है। इसी के अनुरूप पंजाब सरकार भी राज्य के किसानों के लिए हर सम्भव प्रयास कर रही है, जिससे राज्य के किसानों की बिजली का खर्च कम हो सके। पंजाब एक महत्वपूर्ण फसल उत्पादक राज्य है जो कि कृषि जगत में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसी वजह से खरीफ की फसल के उत्तम उत्पादन के लिए राज्य के किसानों को बीज के साथ साथ अधिक बिजली की भी आवश्यकता पड़ती है। यही कारण है कि पंजाब सरकार बिजली के खर्च को कम करने के लिए पी एम कुसुम योजना से वित्तीय सहायता की मांग की है।

पंजाब राज्य को भी पी एम कुसुम योजना में सम्मिलित करने की मांग

पंजाब सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत मंत्री अमन अरोड़ा जी ने बताया कि उन्होंने केंद्र सरकार को लिखित में पत्र भेजा है, जिसमें पंजाब राज्य को पी एम कुसुम योजना में सम्मिलित करने की मांग की है। साथ ही, पंजाब सरकार इस मांग को औपचारिक रूप से केंद्र के समक्ष प्रस्तुत कर चुकी है। हालाँकि, अमन अरोरा जी ने ये भी कहा कि पंजाब राज्य को इस पी एम कुसुम योजना के लाभ से वंचित रखा गया है। साथ ही पंजाब में ज्यादातर पंप सेट की क्षमता १० से १५ एच पी है, किसान उनको वहन करने के लिए सक्षम नहीं हैं, इसलिए किसानों को सी एफ ए यानि केन्द्रीय वित्तीय सहायता की अत्यधिक आवश्यकता है।


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पंजाब राज्य सरकार ने कितने हॉर्स पावर के पंप सेट के लिए माँगा फंड

केंद्र सरकार १ अगस्त २०२२ को पूर्वोत्तर व पहाड़ी राज्यों के किसानों को १५ एच पी क्षमता वाले कृषि पम्पों के लिए सी एफ ए प्रदान करने का प्रावधान किया है, सिर्फ पंजाब राज्य में ही यह ७.५ एच पी तक है। लेकिन पंजाब राज्य सरकार ने १५ एच पी हॉर्स पावर के सौर ऊर्जा पंप सेट की मांग रखी थी।
खुशखबरी: इस राज्य में कृषि संबंधित नयी नीति जारी करेगी राज्य सरकार

खुशखबरी: इस राज्य में कृषि संबंधित नयी नीति जारी करेगी राज्य सरकार

पंजाब सरकार ने प्रदेश में कृषि प्रणाली को बेहतर बनाने हेतु ३१ जनवरी २०२३ को नवीन कृषि नीति को जारी करने की योजना बनाई है। जानिए किसानों के हित में इसमें क्या क्या लाभ हैं। देश की कृषि अर्थव्यवस्था में पंजाब जो कि एक कृषि प्रधान राज्य है, जिसने अपना अहम योगदान दिया है। प्रदेश के किसान खाद्यान्न से लेकर बागवानी फसलों का भी अच्छा खासा उत्पादन कर रहे हैं। पंजाब राज्य के किसानों को भी विभिन्न समस्याओं से झूझना पड़ रहा है। इसी कारण से अब राज्य सरकार द्वारा बेहतरी हेतु नवीन कृषि नीतियों को जारी करने का निर्णय लिया गया है। इस संदर्भ में स्वयं पंजाब के कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल (Kuldeep Singh Dhaliwal ने अवगत किया है। पंजाब राज्य में किसान एवं कृषि श्रमिक आयोग द्वारा आयोजित किसान गोष्ठी के मौके पर पंजाब के कृषि विकास मॉडल-कुछ नीतिगत मुद्दे' से संबंधित संबोधन करते हुए कृषि मंत्री धालीवाल ने विस्तृत रूप से नवीन कृषि नीतियों से जुड़ी जानकारी दी हैं। हम इस लेख में यही जानेंगे कि नवीन कृषि नीति से पंजाब के कृषकों व कृषि हेतु विशेष क्या रहने वाला है।

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आखिर किन चीजों पर ध्यान केंद्रित करना है

किसान गोष्टी को संबोधित करते हुए पंजाब के कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल का कहना है कि पंजाब की भूगोल, मृदा स्वास्थ्य एवं कृषि में जल की उपलब्धता पर जोर देते हुए पंजाब की नवीन कृषि नीति जारी होगी जिसके लिए कार्य प्रारंभ हो चुका है, साथ ही अच्छे नतीजों हेतु देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक, विशेषज्ञ एवं किसान संगठनों से जुड़कर विचार-विमर्श किया जा रहा है।

किन क्षेत्रों में बेहतरी की आवश्यकता है

किसान गोष्ठी के दौरान 'पंजाब के कृषि विकास मॉडल-कुछ नीतिगत मुद्दे' पर संबोधन के दौरान पंजाब राज्य के कृषि मंत्री धालीवाल ने भूतपूर्व सरकारों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वर्तमान समय में पंजाब पुरानी गलत नीतियों की वजह से आज पंजाब का पर्यावरण, उपजाऊ भूमि, शुद्ध जल, हवा पूर्णरूप से विपरीत स्थिति में है। राज्य में प्रदूषित जल, जहरीली हवा और बंजर भूमि होती जा रही है, जिसको बेहतर नीति एवं दृण निश्चय के साथ सख्ती से बेहतर बनाया जाएगा।

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प्राकृतिक खेती हेतु क्या नीति बनाई गयी है

कृषि मंत्री धालीवाल के अनुसार प्राकृतिक खेती हेतु विशेष रूप से कृषि नीति बनाने की घोषणा की है। धालीवाल का कहना है, कि कृषि में उर्वरक, रासायनिक खरपतवारनाशक दवाएं एवं कीटनाशकों से लोगों को स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां हो रही हैं। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने हेतु जलवायु के अनुसार कार्य करना होगा, क्योंकि किसानों का कार्य केवल खेती-किसानी तक ही सीमित नहीं है। यह प्रत्यक्ष रूप से स्वास्थ्य से सम्बंधित विषय है। राज्य सरकार किसानों को मशीनीकरण की तरफ प्रोत्साहित कर रही है, जिससे किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकें इसलिए किसानों को मशीनों का प्रयोग करना चाहिए।
हर किसान के घर-घर पहुंचेगी पंजाब सरकार, 31 मार्च तक तैयार हो जाएगी नीति

हर किसान के घर-घर पहुंचेगी पंजाब सरकार, 31 मार्च तक तैयार हो जाएगी नीति

आजकल हमारे देश में एग्रीकल्चर ग्रोथ (Agriculture Growth) को लेकर बढ़ा चढ़ाकर प्रयास किए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश समेत सभी राज्य किसानों की खेती-बाड़ी को प्रोत्साहित करते हैं। भारत में पंजाब एक ऐसा राज्य है, जो हमेशा से ही अपने लहलहाते खेतों और फसलों के लिए अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखता है। पंजाब की काफी ज्यादा आबादी कृषि से जुड़ी हुई है और इसीलिए यहां कि राज्य सरकार किसानों की मदद करने के लिए समय-समय पर कृषि से जुड़ी हुई कोई ना कोई योजनाएं आती रहती है।

पंजाब में 31 मार्च तक तैयार होगी नई कृषि नीति

पंजाब सरकार काफी समय से किसानों को समृद्ध बनाने के लिए और कृषि के और ज्यादा उन्नत तरीके अपनाने के लिए प्रयासरत रही है। फिलहाल राज्य सरकार पंजाब के लिए नई कृषि नीति तैयार करने में लगी हुई है। 31 मार्च तक कृषि नीति के पूरा हो जाने की तिथि दी गई है। पंजाब सरकार किसानों को समृद्ध बनाने और कृषि क्षेत्र को उन्नत करने के लिए लगातार कदम उठा रही है।
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रिपोर्ट की मानें तो इस बार पंजाब सरकार पूरी तरह से ग्राउंड लेवल पर काम करना चाहती है और अपनी नीतियों में इस तरह से बदलाव करेगी कि वह हर एक किसान से सीधे तौर पर जुड़ सकें। नई कृषि नीति को लेकर पंजाब सरकार ने नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। इससे जुड़े हुए सदस्यों की लिस्ट भी जारी कर दी गई है। यह नीति बनाने के लिए 11 सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई है। राज्य सरकार के अनुसार, कमेटी में सचिव कृषि राहुल तिवारी को मैंबर, चेयरमैन पंजाब राज्य किसान और कृषि श्रमिक आयोग डॉ. सुखपाल सिंह को कनवीनर, वाइस चांसलर पी.ए.यू. लुधियाना डॉ. एस.एस. गोसल, वाइस चांसलर गुरु अंगद देव वेटरिनरी एंड एनिमल साईंसेज यूनिवर्सिटी लुधियाना डॉ. इंद्रजीत सिंह, अर्थशास्त्री डॉ. सुच्चा सिंह गिल, पूर्व वाइस चांसलर पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला डॉ. बी.एस. घुम्मण, पूर्व डॉयरैक्टर बागबानी पंजाब डॉ. गुरकंवल सिंह, सलाहकार पंजाब जल नियंत्रण और विकास अथॉरिटी राजेश वैशिष्ट, पूर्व डॉयरैक्टर कृषि पंजाब डॉ. बलविन्दर सिंह सिद्धू, प्रधान पी.ए.यू. किसान क्लब अमरिंदर सिंह और चेयरमैन पनसीड महेंद्र सिंह सिद्धू आदि को सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है।

किस क्षेत्र में करेगी सरकार काम

पंजाब के कृषि मंत्री ने बताया कि, पंजाब सरकार कृषि में ग्रोथ के लिए कई बिंदुओं पर काम करेगी। इनमें जमीनी पानी, मिट्टी की सेहत और भौगोलिक स्थितियों को प्रमुख रूप से ध्यान रखा गया है। माना जा रहा है, कि नई कृषि नीति लागू होते हैं किसानों की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आएगा और साथ ही कृषि पैदावार में भी गुणवत्ता, निर्यात और कृषि विभिन्नता बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।

बासमती चावल के निर्यात को तैयार होगी नई रणनीति

पूरे पंजाब में बासमती चावल उगाया जाता है और ऐसा कहा जाता है कि यह चावल पंजाब की पहचान है। यहां पर बासमती चावल काफी ज्यादा मात्रा में उगाया जाता है। इस बासमती चावल को वैश्विक पटल पर चमकाने के लिए राज्य सरकार काम कर रही है। इस नई कृषि नीति में बासमती को परमल धान के विकल्प के तौर पर अपनाने और बासमती निर्यात को प्रोत्साहित करने के प्रस्ताव के रूप में भी शामिल किया जाएगा।
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जहर मुक्त कृषि मॉडल देगी पंजाब सरकार

पंजाब सरकार का कहना है, कि पंजाब में पर्यावरण को लेकर काफी समस्याएं सामने आ रही हैं। केमिकल आदि से तैयार की गई फसने खाने से लोगों की सेहत पर सीधा असर पड़ रहा है और साथ ही यह सभी चीजें पर्यावरण को भी पूरी तरह से प्रभावित करती हैं। जमीन की उर्वरकता घटी है। उपजाऊ भूमि अब गैर-उपजाऊ भूमि में बदल रही है। जमीन का पानी जहरीला हो रहा है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने जहर मुक्त कृषि मॉडल लाने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है।
किसानों को सस्ते में मिलेंगे कृषि यंत्र, सरकार दे रही 50% सब्सिडी

किसानों को सस्ते में मिलेंगे कृषि यंत्र, सरकार दे रही 50% सब्सिडी

पंजाब के किसानों की आय बढ़ाने के लिए पंजाब सरकार काफी कोशिशों में लगी हुई है. जिसके तहत सीएम भगवंत मान की सरकार ने किसानों के हित में एक बड़ा फैसला किया है. राज्य की सरकार कृषि के क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए पुरजोर कोशिशें कर रही है. इसकी तर्ज पर वो नई से नई तकनीकों को भी बढ़ावा दे रही है. जिस वजह से किसानों को अब सस्ते में कृषि यंत्र उपलब्ध हो जाएंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि पंजाब सरकार ने इन्हीं कृषि यंत्रो पर 50 फीसद तक सब्सिडी देने का फैसला लिया है. बता दें पंजाब सरकार के मुताबिक किसानों को अब परम्परागत खेती की बजाय तकनीकी पर आधारित खेती करने की तरफ रुख करना चाहिए. जिस वजह से उनकी आय में कुछ बढ़ोतरी हो सके. इन्हीं सब बातों को देखते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने खेती में उपयुक्त होने वाले यंत्रों की खरीद पर करीब 50 फीसद की सब्सिडी देने का फैसला कर लिया है. ये भी देखें: २०२२-२३ के लिए कृषि यंत्रों पर अनुदान प्राप्त करने के लिए आवेदन की प्रकिया जारी : डा. कर्मचंद, हरियाणा वहीं डीसी गुरदासपुर डॉक्टर हिमांशु अग्रवाल ने कहा कि, राज्य सरकार का किसानों से यह भी आग्रह है कि, किसान अपनी खेती में नये नये यंत्रों का इस्तेमाल करें. ताकि उनकी कमाई पहले से ज्यादा हो सके. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि, मान की सरकार कृषि यंत्रीकरण के तहत कृषि और किसान कल्याण विभाग किसानों को 28 फरवरी तक सब्सिडी देगा. इसके अलावा ट्रैक्टर अपट्रेंड, असिस्टेंट स्प्रेयर, ऑटोमेटिक और सेमी ऑटोमेटिक पोटैटो पॉटर, न्यूमेटिक प्लांटर लेजर लैंड लेवलर, पावर वीडर जैसे यंत्रों को अगर किसान खरीदते हैं, तो उन्हें इसके लिए 50 फीसद की भारी सब्सिडी दी जाएगी.

पोर्टल पर मिलेगी डीलर्स की सूची

सरकार की इस योजना का फायदा उठाने के लिए सबसे पहले किसानों को इसके लिए आवेदन करना होगा. जिसके लिए उन्हें इससे सम्बंधित आधिकारिक वेबसाइट https://www.agrimachinerypb.com/ पर विजिट करके अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. जिसने बाद ही उन्हें सब्सिडी का फायदा मिल सकेगा. इसके अलावा कस्टम हायरिंग सेंटर को स्थापित करने के लिए भी पंजाब सरकार सब्सिडी उपलब्ध करवा रही है. वहीं जानकारी के लिए बता दें कि, लाभार्थियों का चयन वेबसाइट के माध्यम से किया जाएगा. इतना ही नहीं कृषि यंत्रों के निर्माता डीलर्स की सूची भी इसी पोर्टल पर उपलब्ध करवाई जाएगी. ताकि किसानों को यंत्रों को लेने में आसानी हो.

यहां पर मिलेगी जरूरी जानकारी

डीसी ने बताया कि, जो किसान जरनल कैटेगरी के हैं, अगर वो कृषि उपकरण खरीदते हैं, तो इसके लिए उन्हें 40 फीसद की सब्सिडी दी जाएगी. वहीं अन्य कैटेगरी के किसानों को 50 फीसद सब्सिडी का फायदा मिलेगा. इसके अलावा जो भी कस्टम हायरिंग सेंटर्स की स्थापना करना चाहते हैं, उन्हें 40 फीसद की सब्सिडी सरकार की ओर से दी जाएगी. इस योजना से जुड़ी ज्यादा जानकारी के लिए किसान किसी भी प्रखंड कृषि विभाग या कृषि अभियंता ऑफिस में जाकर संपर्क कर सकते हैं.
NGT ने पराली जलाने के चलते बढ़ते प्रदूषण को लेकर पंजाब-हरियाणा सरकार से नाखुशी जताई

NGT ने पराली जलाने के चलते बढ़ते प्रदूषण को लेकर पंजाब-हरियाणा सरकार से नाखुशी जताई

एनजीटी ने इससे पूर्व प्रदूषण एवं पराली जलाने के बढ़ते मामलों को लेकर पंजाब सरकार की खिंचाई की थी। एनजीटी ने पराली जलाने पर तत्काल रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने में विफल रहने के लिए राज्य सरकार की आलोचना भी की थी। 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पंजाब तथा हरियाणा सरकार को 2024 में पराली जलाने के मामलों को कम करने के लिए एक कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया। ट्रिब्यूनल ने टिप्पणी में कहा, कि 'आप इसके विषय में भूल जाएंगे तथा अगले वर्ष पंजाब में पुनः पराली जलाई जाएगी।' एनजीटी ने राज्यों को आगामी वर्ष के लिए विभिन्न निवारक कदमों समेत एक समयबद्ध कार्य योजना (एक्शन प्लान) तैयार करने का निर्देश दिया है। दिल्ली प्रदूषण के संबंध में, ट्रिब्यूनल ने दिल्ली में सिर्फ GRAP को लागू करने एवं रद्द करने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को फटकार लगा दी। एनजीटी ने कहा है, कि सीएक्यूएम अपने आधार पर कार्य कर रहा है। CAQM का क्या काम है? वे बस GRAP को रद्द करते हैं और लागू करते हैं। उनके 90% फीसद सदस्य बैठकों में शामिल नहीं होते हैं।'

एनजीटी ने पराली जलाने के बढ़ते मामलों को लेकर नाराजगी जाहिर की है 

एनजीटी ने इससे पूर्व प्रदूषण एवं पराली जलाने के बढ़ते मामलों को लेकर पंजाब सरकार से सवाल पूछा था। एनजीटी ने पराली जलाने पर तत्काल रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने में विफल रहने के लिए राज्य सरकार की आलोचना भी की थी। हरित न्यायाधिकरण मतलब कि NGT ने पराली जलाने पर प्रतिबंध नहीं लगाने के लिए पंजाब सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों पर नाखुशी व्यक्त की थी। 

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एनजीटी ने पराली जलाने को लेकर प्रशासन को जिम्मेदार बताया 

एनजीटी ने इसको "प्रशासन की पूर्ण विफलता" बताते हुए कहा किजब मामला उठाया गया था तब पराली जलाने की लगभग 600 घटनाएं दर्ज की गई थीं और अब यह संख्या 33,000 है, इस तथ्य के बावजूद कि एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर विचार कर रहे हैं और आप कह रहे हैं कि आप प्रयास कर रहे हैं।एनजीटी ने कहा था कियह आपके प्रशासन की पूर्ण विफलता है। पूरा प्रशासन काम पर है और फिर भी आप विफल रहे हैं।''

पंजाब के वकीलों से एनजीटी ने सवाल किया था 

एनजीटी ने पंजाब सरकार को "उल्लंघनकर्ताओं पर मुकदमा चलाने में सेलेक्टिव रोल" के लिए भी बुलाया था। क्योंकि पंजाब के वकील ने कहा था कि उसने 1,500 में से एक ही दिन में फसल जलाने के लिए महज 829 के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की थी।यह एक दिन की घटना का तकरीबन एक-चौथाई है। इस पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पंजाब के वकील से कहा कि सभी के विरुद्ध समान कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर को हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि फसल अवशेष जलाना "तत्काल" रोका जाए, यह कहते हुए कि वह प्रदूषण के कारण "लोगों को मरने" नहीं दे सकता।

पंजाब सरकार ने किसानों के लिए अपने बजट में खोला खजाना

पंजाब सरकार ने किसानों के लिए अपने बजट में खोला खजाना

पंजाब की भगवंत मान सरकार ने 2024-25 के लिए राज्य का बजट प्रस्तुत कर दिया है। पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने चंडीगढ़ में विधानसभा में 2.04 लाख करोड़ का बजट पेश किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार खेती-किसानी पर विशेष बल दे रही है। 

कृषि के लिए सरकार ने कुल 13784 करोड़ रुपये खर्च करने की व्यवस्था की है, जो कुल बजट का 9.37 प्रतिशत है। इसके अतिरिक्त राज्य के किसानों को मुफ्त बिजली देने के लिए 9330 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। 

इसके साथ ही महिलाओं, युवाओं और बेरोजगारों को नौकरियां देने के अलावा स्वास्थ्य और शिक्षा पर सरकार का फोकस रहा है। 

पंजाब सरकार ने किसानों को 13000 करोड़ से अधिक की सौगात दी   

उपरोक्त में जैसा बताया है, कि पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने विधानसभा में वित्तवर्ष 2024-25 के लिए 2.04 लाख करोड़ का बजट पेश कर दिया है। 

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उन्होंने कहा कि पंजाब बजट 2024 में सरकार ने किसानों को सशक्त बनाने के लिए 13,784 करोड़ रुपये के बजट की व्यवस्था की है। यह कुल बजट का 9.37% फीसद है। 

उन्होंने कहा कि राज्य के किसानों को सिंचाई सुविधाओं के लिए मुफ्त बिजली देने के लिए 9330 करोड़ रुपये का बजट दिया गया है।  

भगवंत मान सरकार की सबसे बड़ी कृषि हेतु घोषणाएं निम्नलिखित हैं 

  • कपास की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए 'मिशन उन्नत किसान' योजना जारी की गई है। उन्होंने कहा कि 87 हजार किसानों को कपास के बीज पर 33% प्रतिशत अनुदान दिया गया है। 
  • वित्त वर्ष 2024-25 में फसल विविधीकरण योजनाओं के लिए 575 करोड़ रुपये का आवंटन किया जाएगा। फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन देने के लिए मूल्य संवर्धन पर ध्यान रहेगा। 
  • होशियारपुर में स्वचालित पेय पदार्थ यूनिट की स्थापना की जाएगी।  
  • पंजाब के अबोहर में काली मिर्च प्रॉसेसिंग इकाई लगाई जाएगी।
  • जालंधर में वैल्यू एडेड प्रॉसेसिंग सुविधा विकसित की जाएगी।
  • फतेहगढ़ साहिब में रेडी टू ईट मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट और अन्य परियोजनाओं के लिए सिडबी के साथ 250 करोड़ का समझौता किया है।
इस राज्य में सिंचाई पंप सेट पर मिल रहा भारी अनुदान, जानें आवेदन प्रक्रिया

इस राज्य में सिंचाई पंप सेट पर मिल रहा भारी अनुदान, जानें आवेदन प्रक्रिया

किसान भाइयों को सिंचाई की बेहतर सुविधा देने के मकसद से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना चलाई जा रही है। योजना के अंतर्गत कृषकों को कृषि सिंचाई यंत्रों पर सब्सिडी का लाभ मुहैय्या कराया जाता है, जिससे कि वे सिंचाई में काम आने वाले कृषि यंत्रों की सस्ती कीमत पर खरीद कर सकें। 

इसी कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से कृषकों को सिंचाई पंप सेट पर सब्सिडी दी जा रही है। 

सिंचाई पंप सेट पर राज्य सरकार की ओर से किसानों को 55 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में किसान आधी कीमत पर सिंचाई के लिए पंप सेट की खरीद कर सकते हैं। 

इसके लिए राज्य सरकार की तरफ से राज्य के किसानों से आवेदन आमंत्रित किए जा रहे हैं। इच्छुक किसान इस कल्याणकारी योजना के तहत आवेदन करके सब्सिडी का फायदा प्राप्त कर सकते हैं।

पंप सेट का उपयोग किन कार्यों में किया जाता है ?  

पंप सेट की सहायता से किसान कुएं और तालाब या होद जो भी जल संचय के लिए तैयार किया गया है। इस पंप सेट का उपयोग पानी को बाहर निकालने के लिए किया जाता है। 

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पंप सेट की सहायता से किसान पानी को गहरे जल संचय स्त्रोतों से निकालकर पाइप द्वारा इच्छित जगह पर ले जा सकते हैं। 

साथ ही, कृषि सिंचाई यंत्र की मदद से फसलों की सिंचाई का कार्य कर सकते हैं। सिंचाई पंप सेट दो तरह के होते हैं। पहला डीजल पंप सेट और दूसरा विद्युत पंप सेट। इनकी कीमतें भी भिन्न-भिन्न होती हैं।

सिंचाई पंप सेट पर कितना अनुदान मिलेगा ? 

उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से राज्य के किसानों को सिंचाई यंत्रों पर 40 से लेकर 55% प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। इसमें पंप सेट पर किसानों को 55% प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। 

इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग और लघु व सीमांत किसानों को 55% प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी। जबकि सामान्य किसानों को 40% प्रतिशत ही अनुदान दिया जाएगा।

योजना का लाभ उठाने के लिए जरूरी कागजात  

अगर आप योजना के अंतर्गत सिंचाई पंप की खरीद पर सब्सिडी का लुफ्त उठाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको ऑनलाइन माध्यम से आवेदन करना होगा। 

आवेदन करते समय आवेदक की आधार कार्ड की कॉपी, बैंक पासबुक के प्रथम पेज की कॉपी, सक्षम अधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाण-पत्र (केवल अनुसूचित जाति एवं जनजाति किसानों के लिए), बी-1 की प्रति, बिजली कनेक्शन का प्रमाण पत्र आदि दस्तावेजों का होना बेहद जरूरी है। 

सिंचाई पंप के लिए आवेदन की प्रक्रिया क्या है ?

अगर आप मध्यप्रदेश के किसान हैं, तो आप इस योजना के अंतर्गत पंप सेट खरीदने के लिए अनुदान का लाभ हांसिल कर सकते हैं। 

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योजना के अंतर्गत कृषि सिंचाई यंत्र प्राप्त करने के लिए आप इस योजना की आधिकारिक वेबसाइट https://farmer.mpdage.org/home/LandingIndex# पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। 

वहीं, योजना से जुड़ी ज्यादा जानकारी के लिए किसान अपने जनपद के कृषि विभाग से संपर्क साध सकते हैं।

पाइप लाइन के लिए भी अनुदान प्रदान किया जाएगा

मध्य प्रदेश के कृषकों को सिंचाई पंप पर अनुदान के अतिरिक्त खेत में पाइप लाइन बिछाने के लिए भी सब्सिड़ी का फायदा प्रदान किया जाएगा। 

राज्य के कृषकों को राष्ट्रीय मिशन ऑन ईडिबल ऑइल तिलहन (National Mission on Edible Oil Oilseeds), खाद्य एवं पोषण सुरक्षा दलहन (Food and Nutrition Security Pulses), पोषण सुरक्षा गेहूं (nutritional security wheat), पोषण सुरक्षा टरफा योजना (Nutrition Security Turfa Scheme) के तहत किसानों को पाइप लाइन एवं डीजल/विदयुत पंप सेट (Pipe Line and Diesel/Electric Pump Set) पर सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाएगा। 

बतादें, कि इसके अतिरिक्त बुंदेलखंड के लिए विशेष पैकेज दलहन के तहत भी पाइप लाइन सेट व पंपसेट पर अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा। 

इस योजना के  अंतर्गत राज्य के पात्र किसान आवेदन करके पाइप लाइन व डीजल/विद्युत पंप पर अनुदान का फायदा हांसिल कर सकते हैं।